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Kahaan Ho Tum - Prateek Kuhad

Kahaan Ho Tum

Prateek Kuhad

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Song Introduction

प्रतीक कूहड़ का गाना 'कहाँ हो तुम' उनकी विशिष्ट सॉफ्ट रॉक धुनों और भावपूर्ण गीत लेखन का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह गीत प्रेम, यादें और आत्म-अन्वेषण के गहरे विषयों को छूता है, जिसमें कूहड़ की नर्म आवाज़ और संवेदनशील लिरिक्स श्रोताओं के दिलों को छू जाते हैं। 'कहाँ हो तुम' ने भारतीय स्वतंत्र संगीत परिदृश्य में उनकी पहचान को और मजबूत किया है, और यह गाना उनकी कला के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस गीत को सुनने वाले अक्सर इसकी सादगी और गहराई की सराहना करते हैं, जिससे यह समय के साथ और भी प्रिय बनता जा रहा है।

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Lyric

हाँ, ये बातें ज़रूरी हैं

पास तुम हो, कैसी दूर है?

कहाँ हो तुम, ये कहानी अधूरी है

ये कैसी धुन मेरे लम्हों को छुई है?

मेरे दिल का फ़साना है

तुमसे मिलने का बहाना है

कहाँ हो तुम, मंज़िलों का इशारा है

ना कोई शक़ है, ना कोई इरादा है

मुझे समझाए कोई क्यूँ

ना जानूँ मैं, ना जाने तू

मुझे समझाए कोई क्यूँ

ना जानूँ मैं, ना जाने तू

है दिल बे-सबर, मैं जाऊँ किधर?

हाँ, बदलती बहारें हैं

तेरे इंतज़ार के सहारे हैं

कहाँ हो तुम, हाँ, गुज़रते सितारे हैं

ना जाने खोए हैं या वो हमारे हैं

कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?

कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?

मुझे समझाए कोई क्यूँ

मुझे समझाए कोई क्यूँ

ना जानूँ मैं, ना जाने तू

ना जानूँ मैं, ना जाने तू

है दिल बे-सबर, मैं जाऊँ किधर?

कहाँ हो तुम, ना सँभलती ये राहें हैं

कहाँ हो तुम, मेरी नज़रों पे साए हैं

कहाँ हो तुम, मैं तुम्हें ढूँढ लाऊँगा

कहाँ हो तुम, हम ज़माने से पराए हैं

कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?

कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?

- It's already the end -