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કાય પો છે
♪
ए, ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
ए, ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
उस पतंग को ढील दे
जैसे ही मस्ती में आए
अरे, जैसे ही मस्ती में आए
उस पतंग को खींच दे
ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
तेज़, तेज़, तेज़ है, माँझा अपना तेज़ है
तेज़, तेज़, तेज़ है, माँझा अपना तेज़ है
ऊँगली कट सकती है बाबू, हो
ऊँगली कट सकती है बाबू तो पतंग क्या चीज़ है
रे, ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
ए, ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
उस पतंग को ढील दे
जैसे ही मस्ती में आए
ए, जैसे ही मस्ती में आए
उस पतंग को खींच दे
ढील दे, ढील दे-दे रे भैया
♪
(એ-એ, કાય પો છે)
(ए, लपेट)
तेरी पतंग तो गई काम से
कैसे कटी, उड़ी थी शान से
चल सरक, अब खिसक तेरी नहीं थी वो पतंग
वो तो गई किसी के संग, संग, संग
ओ, ग़म ना कर, घुमा फिरकी, तू फिर से गर्रर-गर
आसमाँ है तेरा, प्यारे, हौसला बुलंद कर
दम नहीं है आँखों में, ना माँझे की पकड़ है
कन्नी कैसे बाँधते हैं, इसको क्या ख़बर है
लड़ा ले पेंच फिर से, तू होने दे जंग
नज़र सदा हो ऊँची, सिखाती है पतंग
सिखाती है पतंग
ए, ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
ढील दे, ढील दे
ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
ढील दे, ढील दे
ए, ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
उस पतंग को ढील दे
जैसे ही मस्ती में आए
उस पतंग को खींच दे
ढील दे, ढील दे-दे रे, भैया
♪
કાય પો છે