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कैलाश खेर का गाना 'छाप तिलक' उनकी अनूठी आवाज़ में प्रस्तुत किया गया एक सुफ़ी रोमांटिक गीत है। यह गीत पारंपरिक भारतीय संगीत के साथ आधुनिक धुनों का सुंदर मिश्रण पेश करता है, जो श्रोताओं के दिल को छू लेता है। 'छाप तिलक' में प्रेम और भक्ति की गहराई को बखूबी दर्शाया गया है, जो कैलाश खेर के संगीत में उनकी विशिष्ट शैली को उजागर करता है। यह गीत विभिन्न मंचों पर प्रशंसकों द्वारा खूब सराहा गया है और उनकी संगीत यात्रा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
आ सजना इन नैनन में, पलक ढाँक तोहे लूँ
ना मैं देखूँ ग़ैर को, ना तोहे देखन दूँ
काजर डारूँ किरकरा, जो सुरमा दिया ना जाए
जिन नैनन में पी बसे, दूजा कौन समाए?
दूजा कौन समाए?
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छाप तिलक सब छीनी...
छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाए के
छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाए के
नैना मिलाए के मोसे सैना मिलाए के
नैना मिलाए के मोसे सैना मिलाए के
छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाए के
छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाए के
♪
प्रेमवटी का मदवा पिलाए के...
प्रेमवटी का मदवा पिलाए के...
मतवारी कर दीनी मोसे नैना मिलाए के
मतवारी कर दीनी मोसे नैना मिलाए के
♪
गोरी-गोरी बैयाँ, हरी-हरी चूड़ियाँ
गोरी-गोरी बैयाँ, हरी-हरी चूड़ियाँ
बैयाँ पकड़ हर लीनी, मोसे नैना मिलाए के
बैयाँ पकड़ हर लीनी, मोसे नैना मिलाए के
♪
बल-बल जाऊँ तोरे रंगरेजवा
बल-बल जाऊँ तोरे रंगरेजवा
अपनी सी रंग दीनी, मोसे नैना मिलाए के
अपनी सी रंग दीनी, नैना मिलाए के
हो, ख़ुसरो निजाम के बली-बली जाईहें
ख़ुसरो निजाम के बली-बली जईहें
ख़ुसरो निजाम के बली-बली जईहें
मोहे सुहागन कीनी, मोसे नैना मिलाए के
मोहे सुहागन कीनी, मोसे नैना मिलाए के