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Tu Kisi Rail Si - Swanand Kirkire

Tu Kisi Rail Si

Swanand Kirkire

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Lyric

तू किसी रेल सी गुज़रती है

तू किसी रेल सी गुज़रती है

मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तू भले रत्ती भर ना सुनती है

मैं तेरा नाम बुदबुदाता हूँ

किसी लंबे सफ़र की रातों में

तुझे अलाव सा जलाता हूँ

तू किसी रेल सी गुज़रती है

मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

काठ के ताले हैं

आँख पे डाले हैं

उनमें इशारों की चाभियाँ लगा

काठ के ताले हैं

आँख पे डाले हैं

उनमें इशारों की चाभियाँ लगा

रात जो बाकी है

शाम सताती है

नीयत में थोड़ी...

नीयत में थोड़ी खराबियाँ लगा, खराबियाँ लगा

मैं हूँ पानी के बुलबुले जैसा

तूझे सोचूँ तो फूट जाता हूँ

तू किसी रेल सी गुज़रती है

मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तू किसी रेल सी गुज़रती है

मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

थरथराता हूँ

थरथराता हूँ

थरथराता हूँ

- It's already the end -