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तेरे सिवा जग में मेरा ना कोई और
तेरे सिवा जग में मेरा ना कोई और
आँखों के शहर में तेरा था इंतज़ार
तुम से तुम ही को माँगा मैंने उधार
बाँहों में अपनी आने दे एक बार
तेरे सिवा जग में...
तेरे सिवा जग में...
तेरे सिवा जग में...
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तेरा हूँ मैं इस लम्हा सर से पाँव तलक
ऐसे मुझे थाम ज़रा, मैं ना जाऊँ छलक
शौक़ से पी मुझे, मैं तेरा जाम हूँ
एक दफ़ा आए जो मैं तो वो शाम हूँ
तू ना मिले मुझको तो जीना है बेकार
तेरे बिना ख़ाली है ख़्वाबों का बाज़ार
तुम से तुम ही को माँगा मैंने उधार
बाँहों में अपनी आने दे एक बार
तेरे सिवा जग में...
तेरे सिवा जग में...
तेरे सिवा जग में...