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क्यूँ ख़ामोश हो? कुछ तो कहो
यूँ नाराज़ तो तुम ना रहो
देखो है हमसे ख़फ़ा तिनका-तिनका
क़ायनात का, क़ायनात का
क्यूँ ख़ामोश हो? कुछ तो कहो
यूँ नाराज़ तो तुम ना रहो
♪
मेरे उलझनें होके बेज़ुबाँ
ढूँढें किनारा (किनारा)
सुलझते नहीं, ये हैं ज़िद पे
गुज़ारिशें ना माना ग़ुरूर तेरा
देखो है हमसे ख़फ़ा तिनका-तिनका
क़ायनात का, क़ायनात का
♪
हो राज़ी भी तू तो क्या फ़ायदा?
ये दूरी बे-इंतिहा
है मुमकिन अगर सवाल तो क्या?
मजबूर भी है यहाँ जवाब तेरा
देखो है हमसे ख़फ़ा तिनका-तिनका
क़ायनात का, क़ायनात का
क्यूँ खोए से हो? कुछ तो कहो
ऐसे गुमसुम तो तुम ना रहो