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Pareshaan - Suzonn

Pareshaan

Suzonn

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Lyric

यूँ तो बेपरवाह दिल है मेरा

ढूँढता फिरता है अँधेरा

दिलचस्पी उन पे, जो नहीं हैं

बेख़बर उन से, जो यहीं हैं

क्यूँ आज भी है नादाँ?

है क्या इस का इरादा?

तकलीफ़ें ना भी हों तो

ना जाने दिल क्यूँ बेवजह रहता परेशाँ

ख़ुद से ही पूछूँ, कैसी तलब है

लाज़मी है भी या बेमतलब है

शोर ये होता ही क्यूँ अजब है

वीरानियों में मिलता अदब है

इस ज़हन को हैं ख़ुश-फ़हमियाँ

सब दिल की ही हैं ग़लतियाँ

बे-क़ुसूर ही है, फ़िर भी

ना जाने दिल क्यूँ बेवजह रहता परेशाँ

मुझ से ही क्यूँ नाराज़ हूँ, मन, तू बता

मैं कौन हूँ, मौजूद हूँ या हूँ लापता

किस से कहूँ, उलझन में हूँ मैं ख़्वाह-मख़ाह

मैं हूँ ग़लत या हूँ सही, ये भी ना पता

ये फ़िज़ूल की बेचैनियाँ

इस दिल की हैं कमज़ोरियाँ

बेफ़िकर ही जिएँ, फ़िर भी

ना जाने दिल क्यूँ बेवजह रहता परेशाँ

- It's already the end -