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ख़ाली दिल तेरी ही राहें देखे
क्यूँ रह जाते हैं ये ऑंसू सूने?
क्या ख़ुद से ही हो रहे हैं ये फ़ासले, फ़ासले?
क्या ख़ुद से ही हो रहे हैं ये फ़ासले, फ़ासले?
तेरे बिना मेरी रूह भी है लगती नहीं
तेरे बिना मेरी सॉंसें भी चलती नहीं
तेरी बातें हैं बसी मुझमें, क्यूँ फिर
मेरे दिल में है छाई ये ख़ामोशी?
ऐ ख़ुदा, फिर से आके बसा ले
मुझ को तेरे साए में जगह दे
क्या ख़ुद से ही हो रहे हैं ये फ़ासले, फ़ासले?
क्या ख़ुद से ही हो रहे हैं ये फ़ासले, फ़ासले?