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Zindagi Ki Yahi Reet Hai(Sad) - Kavita Krishnamurthy

Zindagi Ki Yahi Reet Hai(Sad)

Kavita Krishnamurthy

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Lyric

ग़म का बादल जो छाए (ग़म का बादल जो छाए)

तो हम मुस्कुराते रहें (तो हम मुस्कुराते रहें)

अपनी आँखों में आशाओं के दीप जलाते रहें

(आज बिगड़े तो कल फिर बने, आज रूठे तो कल फिर माने)

(वक़्त भी जैसे इक मीत है, ज़िन्दगी की यही रीत है)

(ज़िन्दगी की यही रीत है, हार के बाद ही जीत है)

(ज़िन्दगी की यही रीत है, हार के बाद ही जीत है)

- It's already the end -