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मेरी अनकही सी, तेरी अनसुनी सी बात है वही
मेरी दबदबी सी, तेरी ना रुकी सी मुस्कान वही
मेरा चुपके से तुझे देखना ही वही
तेरा देख के यूँ छुप जाना ही वही
तेरी आँखों से मेरी आँखों की नमी
कुछ ढूँढ ले अहसासों से भरी
कुछ बुनी सी यादें हैं अब, तो चल संग सही
कुछ पल लिखे ये ज़िंदगी, जहाँ तेरी कहानी से शुरू
जहाँ मेरी कहानी तक की कुछ बातें हो गई
कुछ पल लिखे ये ज़िंदगी, जहाँ तेरी कहानी से शुरू
जहाँ मेरी कहानी तक की कुछ बातें हो गई
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मेरी बेरुख़ी सी, तेरी कुछ भूली सी रात है वही
मेरी बेवजह सी, तेरी कुछ ख़फ़ा सी मुलाक़ात वही
मेरा देखकर तुझे थम जाना ही वही
तेरा मुड़कर मुझे देखना ही सही
तेरी बातों से मेरी बातों की हँसी
कुछ सुन ले साँसों से है भरी
कुछ बुनी सी यादें हैं अब, तो चल संग सही
कुछ पल लिखे ये ज़िंदगी, जहाँ तेरी कहानी से शुरू
जहाँ मेरी कहानी तक की कुछ बातें हो गई
कुछ पल लिखे ये ज़िंदगी, जहाँ तेरी कहानी से शुरू
जहाँ मेरी कहानी तक की कुछ बातें हो गई
रह जाएँ यूँ ही, रह जाएँ लमहे पुराने से, जाने-पहचाने से
क्यूँ रुक जाएँ, रुक जाएँ? पल-पल अनजाने से राहों में बैठे हैं यूँ
—बातें हो गई