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शामें-सुबह मिलते नहीं
ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
शामें-सुबह मिलते नहीं
ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
♪
शामें-सुबह
♪
मिलना ज़रा
♪
चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
शामें-सुबह मिलते नहीं
ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं