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अनुव जैन का गीत "Riha" एक दिल को छू लेने वाला ट्रैक है, जिसमें उनकी मधुर आवाज और सरल लेकिन गहरे बोलों का संगम देखने को मिलता है। इस गीत में प्रेम, स्वतंत्रता और आत्म-अन्वेषण की भावनाओं को खूबसूरती से पिरोया गया है। "Riha" ने भारतीय संगीत प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है और अनुव जैन की शैली को और अधिक सशक्त बनाया है। इस गाने की संगीत व्यवस्था और बोल दोनों ही प्रशंसकों द्वारा सराही जा रही हैं।
रेत पे पैरों से तेरे निशाँ मेरे दिल पर
लोगों की लहरों सी, हाय
बातों से मिटेंगे कब तक
हो जाना तू रिहा, मेरे
हो जाना तू रिहा, मेरे
ना होना चाहूँ मैं
ना हो सकूँ कभी
तस्वीरों में मुस्कुराहट थी
"अब मेरे चेहरे पे है क्यूँ नहीं," ये पूछते
इन ग़ैरों को है समझ नहीं कोई
तस्वीरों में तुम भी खड़ी थे
मिस्री सी ये यादें सँभली पड़ी
तुम बिन में मेरे हो
तू है नूर सा, नूर ही है अलग
तू ऐसे मेरा है जहाँ
ऐसे आजा, मेरे
मेरी निंदियों में तुम ऐसे, ओ
बंद पलकों तले
तुम हर एक पल मेरे पास हो
तू है नहीं, तू है मगर
तू है नहीं, मैं कौन हूँ
तू है परिंदों सा, यूँ उड़ चला
बिन तेरे बता मैं कौन हूँ?
नींदों में गुलिस्ताँ है
तेरा-मेरा ही है ये आशियाना
रातों में तारों से
यूँ टूट कर मेरे तू लौट आना
रह जाना तू यहाँ मेरे
रह जाना तू यहाँ मेरे
जब तक मिलूँ नहीं
तारों में मैं कहीं