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कभी-कभी जो मैं तुमको सोचता हूँ
याद आती हैं वो क़ुर्बतें, hmm-hmm
धीरे-धीरे से जो दूरियाँ बढ़ी तो
फ़ासलों में फ़ँस गया हूँ मैं
यादों की परत ये तेरी हल्की पड़ रही है
आवाज़ें दे रहा ये दिल मेरा
आती ना समझ ये मुझको तेरी खामोशी है
फ़िर से चल दिया हूँ तेरे पास
है मीलों चला मैं तुम्हारे लिए
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
झलक ये अब तुम्हारी हल्की हुई
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
है मीलों चला मैं तुम्हारे लिए
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
झलक ये अब तुम्हारी हल्की हुई
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
याद आती हैं मुझे वो जुगनुओं सी रातें
साथ जब चले थे हम कभी (साथ जब चले थे हम कभी)
अब ये आँखें ढूँढती हैं दिन में भी रोशनी
रोशनी ये गुमसुम हुई (mmm-hmm, yeah-yeah)
है दिया तुम्हारे सारे ख़्वाबों को मैं आसरा
फ़िर भी हो गया हूँ क्यूँ बुरा?
अब ये आँखें ढूँढती हैं तेरा ही एक पता
फ़िर से चल दिया है दिल मेरा
है मीलों चला मैं तुम्हारे लिए
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
झलक ये अब तुम्हारी हल्की हुई
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
थे सारे वादे अपने साथ रहने के
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...
झलक ये अब तुम्हारी हल्की हुई
हैं इतनी दूरियाँ क्यूँ हुई? पर...