00:00
04:39
कोई चेहरा मिटा के और आँख से हटा के
चंद छींटे उड़ा के जो गया
छपाक से पहचान ले गया
एक चेहरा गिरा, जैसे मोहरा गिरा
जैसे धूप को ग्रहण लग गया
छपाक से... पहचान ले गया
ना चाह, ना चाहत कोई
ना कोई ऐसा वादा, हा
ना चाह, ना चाहत कोई
ना कोई ऐसा वादा
हाथ में अँधेरा और आँख में इरादा
कोई चेहरा मिटा के और आँख से हटा के
चंद छींटे उड़ा के जो गया
छपाक से पहचान ले गया
एक चेहरा गिरा, जैसे मोहरा गिरा
जैसे धूप को ग्रहण लग गया
छपाक से... पहचान ले गया
बेमानी सा जुनून था, बिन आग के धुआँ
बेमानी सा जुनून था, बिन आग के धुआँ
ना होश, ना ख़याल सोच अंधा कुआँ
कोई चेहरा मिटा के और आँख से हटा के
चंद छींटे उड़ा के जो गया
छपाक से पहचान ले गया
एक चेहरा गिरा, जैसे मोहरा गिरा
जैसे धूप को ग्रहण लग गया
छपाक से... पहचान ले गया
आरज़ू थी, शौक़ थे वो सारे हट गए
कितने सारे जीने तागे कट गए
आरज़ू थी, शौक़ थे वो सारे हट गए
कितने सारे जीने तागे कट गए
सब झुलस गया
कोई चेहरा मिटा के...
एक चेहरा गिरा, जैसे मोहरा गिरा
जैसे धूप को ग्रहण लग गया
छपाक से पहचान ले गया
छपाक से पहचान ले गया
पहचान ले गया
पहचान ले गया