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हाय, क़सम से, क़सम से, तुम्हारे बिना
हम थोड़े कम थे
राहों पे मेरी क़दम जो तुम्हारे ना थे
तो अधूरे हम थे
हो गए मेहरबाँ ख़्वाब हम पे (हम पे)
जो निगाहें खुली, पास तुम थे
हाय, क़सम से, क़सम से, तुम्हारे बिना
हम थोड़े कम थे
राहों पे मेरी क़दम जो तुम्हारे ना थे
तो अधूरे हम थे
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दिल को मेरे सबर होता नहीं
मेरी ख़्वाहिशों का शहर सोता नहीं
जागे-जागे रहें, और जहाँ को जगाएँ
ऐसे क़रीब होके दूर ना जाएँ
दूर होना नहीं कभी मुझसे (कभी मुझसे)
तुम भी कह दो ज़रा, क़सम से
हाय, क़सम से, क़सम से, तुम्हारे बिना
हम थोड़े कम थे
राहों पे मेरी क़दम जो तुम्हारे ना थे...
क़सम से, हाय, क़सम से
क़सम से, हाय, क़सम से (क़सम से)
हाय, क़सम से, क़सम से, तुम्हारे बिना
हम थोड़े कम थे
राहों पे मेरी क़दम जो तुम्हारे ना थे
तो अधूरे हम थे
हाय, क़सम से, क़सम से, तुम्हारे बिना
हम थोड़े कम थे
राहों पे मेरी क़दम जो तुम्हारे ना थे
तो अधूरे हम थे
हाय, क़सम से, क़सम से, तुम्हारे बिना
हम थोड़े कम थे
राहों पे मेरी क़दम जो तुम्हारे ना थे...
(क़सम से, क़सम से)