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पहले क्यूँ ना मिले हम?
तनहा ही क्यूँ जले हम?
मिल के मुक़म्मल हुए हैं
या थे तनहा भले हम?
♪
साँवरे, साँवरे
जाने कितने लबों पे गिले हैं
ज़िंदगी से कई फ़ासले हैं
पसीजते हैं सपने क्यूँ आँखों में
लकीरें जब छूटे इन हाथों से यूँ बेवजह?
सुन बैरिया, साँवरे
जो भेजी थी दुआ
वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई
कि आ गई है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ
वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई
कि आ गई है लौट के सदा
♪
साँवरे, साँवरे
♪
ढलती रात का एक मुसाफ़िर
सुबह अलविदा कह चला
जीते-जी तेरा हो सका ना
मर के हक़ अदा कर चला
साँसों ने कहाँ रुख़ मोड़ दिया?
कोई राह नज़र में ना आए
धड़कन ने कहाँ दिल छोड़ दिया?
कहाँ छोड़े इन जिस्मों में साए?
जाने कितने लबों पे गिले हैं
ज़िंदगी से कई फ़ासले हैं
पसीजते हैं सपने क्यूँ आँखों में
लकीरें जब छूटे इन हाथों से यूँ बेवजह?
सुन बैरिया, साँवरे (साँवरे)
जो भेजी थी दुआ
वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई
कि आ गई है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ
वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई
कि आ गई है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ (जो भेजी थी दुआ)
वो आसमाँ, हाँ
आसमाँ, आसमाँ (कि आ गई है लौट के सदा)
ना हमारा हुआ, ना तुम्हारा हुआ (लौट के सदा)
इश्क़ का ये सितम ना गवारा हुआ
ना हमारा हुआ, ना तुम्हारा हुआ
इश्क़ का ये सितम ना गवारा हुआ