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Tu Ambar Ki Aankh Ka Tara - Jagjit Singh

Tu Ambar Ki Aankh Ka Tara

Jagjit Singh

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07:06

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Lyric

Good evening

This year I am cleberating my 70th birthday

The whole year is going to be celebrated as my birthday

I started this celebration in the month of february

5th february was the first concert becasue 8th is my birthday

And I've committed seventy concerts in one year

तू अम्बर की आँख का तारा

तू अम्बर की आँख का तारा, मेरे छोटे हाथ

सजन मैं भूल गयी ये बात

तू अम्बर की आँख का तारा, मेरे छोटे हाथ

सजन मैं भूल गयी ये बात

सजन मैं भूल गयी ये बात

तू अम्बर की आँख का तारा, मेरे छोटे हाथ

सजन मैं भूल गयी ये बात

तुझको सारे मन से चाहा

तुझको सारे मन से चाहा, चाहा सारे तन से

तुझको सारे मन से चाहा, चाहा सारे तन से

अपने पूरेपन से चाहा और अधूरेपन से

पानी की एक बूँद कहाँ

पानी की एक बूँद कहाँ, और कहाँ भरी बरसात

सजन मैं भूल गयी ये बात

पानी की एक बूँद कहाँ, और कहाँ भरी बरसात

सजन मैं भूल गयी ये बात

जनम जनम माँगूंगी तुझको

जनम जनम माँगूंगी तुझको, तुम मुझको न ठुकराना

मैं माटी में मिल जाऊँगी, तुम माटी हो जाना

जनम जनम माँगूंगी तुझको, तुम मुझको न ठुकराना

मैं माटी में मिल जाऊँगी, तुम माटी हो जाना

लहर के आगे क्या इक छोटे तिनके की औक़ात

सजन मैं भूल गयी ये बात

लहर के आगे क्या इक छोटे तिनके की औक़ात

सजन मैं भूल गयी ये बात

तेरी ओर ही देखा मैंने

तेरी ओर ही देखा मैंने, अपनी ओर न देखा

तेरी ओर ही देखा मैंने, अपनी ओर न देखा

जब जब बढ़ना चाहा, पाँव से लिपटी लक्ष्मण रेखा

तेरी ओर ही देखा मैंने, अपनी ओर न देखा

जब जब बढ़ना चाहा, पाँव से लिपटी लक्ष्मण रेखा

मैं अपने भी साथ नहीं थी

मैं अपने भी साथ नहीं थी, दुनिया तेरे साथ

सजन मैं भूल गयी ये बात

तू अम्बर की आँख का तारा

तू अम्बर की आँख का तारा, मेरे छोटे हाथ

सजन मैं भूल गयी ये बात

सजन मैं भूल गयी ये बात

सजन मैं भूल गयी ये बात

- It's already the end -