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Virah - Shankar-Ehsaan-Loy

Virah

Shankar-Ehsaan-Loy

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Lyric

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मेरी सखी मैं अंग-अंग आज रंग डाल दूँ

हे, मेरी सखी मैं अंग-अंग आज रंग डाल दूँ

अपने जी से प्रेम रंग कैसे मैं उतार दूँ?

ओ, मेरी सखी

तेरे बिना कहीं भी ना व्याकुल मन लागे

विरहन सुर, ताल, साज आज तेरे आगे

नैनन को चैन नहीं, रैन-रैन जागे

इक पल में टूट जाएँ साँस के ये धागे

तू जो मुँह फेरे सखी, देह प्राण त्यागे

पल भर तू देख मुझे ज़िन्दगी गुज़ार दूँ

मेरी सखी मैं अंग-अंग आज रंग डाल दूँ

अपने जी से प्रेम रंग कैसे मैं उतार दूँ?

मेरी सखी

मेरी सखी

मेरी सखी

मेरी सखी

हो, मेरी सखी

- It's already the end -