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Meherbaan - Unplugged - Kumaar

Meherbaan - Unplugged

Kumaar

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Lyric

दिल की माँगें थोड़ी थी कम

हर दुआ भी थोड़ी मद्धम

तूने काँधे पे सर झुकाया जब

जैसे दरगाह पे बाँधे धागे तब

हो, बिना माँगे ही मिल गया है सब

मेहरबाँ हुआ-हुआ, मेहरबाँ हुआ-हुआ

मेहरबाँ हुआ, मेहरबाँ हुआ रब

मेहरबाँ हुआ, मेहरबाँ हुआ रब

हो, फ़ुरसतों में यूँ अचानक

कैसे, क्यूँ और ये हुआ कब?

मेहरबाँ हुआ-हुआ, मेहरबाँ हुआ-हुआ

मेहरबाँ हुआ, मेहरबाँ हुआ रब

मेहरबाँ हुआ, मेहरबाँ हुआ रब

मेहरबाँ-मेहरबाँ (हुआ रब)

मेहरबाँ-मेहरबाँ (हुआ रब)

मेहरबाँ-मेहरबाँ (मेहरबाँ हुआ रब)

मेहरबाँ-मेहरबाँ, मेहरबाँ-मेहरबाँ

मेहरबाँ-मेहरबाँ (मेहरबाँ हुआ रब)

हाथों को तेरे अपने हाथों में ले लेता हूँ

कि तक़दीरें अपनी सारी पढ़ लूँ

आँखों में तेरे छुपते अरमाँ मैं ढूँढता हूँ

बस तू सोचे और पूरे मैं कर दूँ

अभी-अभी तो हम अधूरे थे

पूरे हो गए तेरे रू-ब-रू

ये भी दिखे ना

कहाँ मैं ख़तम, कहाँ तू शुरू

आँखें तेरी गिरती हैं जब

अब तो नींदें आती हैं तब

हमको लगता है कुछ दिनों से अब

ओ, तू इबादत है, तू ही है मज़हब

ओ, बेवजह, कैसे? क्यूँ? कहाँ? और कब?

मेहरबाँ हुआ-हुआ, मेहरबाँ हुआ-हुआ

मेहरबाँ हुआ, मेहरबाँ हुआ रब

मेहरबाँ हुआ, मेहरबाँ हुआ रब (मेहरबाँ-मेहरबाँ)

- It's already the end -