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Piku - Sunidhi Chauhan

Piku

Sunidhi Chauhan

00:00

03:26

Song Introduction

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Lyric

सुबह की धूप पे इसी की दस्तख़त है

इसी की रौशनी उड़ी जो हर तरफ़ है

ये लमहों के कुँए में रोज़ झाँकती है

ये जा के वक़्त से हिसाब माँगती है

ये पानी है, ये आग है

ये खुद लिखी किताब है

प्यार की खुराक सी है, पिकू

सुबह की धूप पे इसी की दस्तख़त है

पन्ना साँसों का पलटे

और लिखे उनपे मन की बात रे

लेना इसको क्या किससे

इसको तो भाए खुद का साथ रे

ओ-ओ, बारिश की बूँद जैसी

सर्दी की धुँध जैसी

कैसी पहेली इसका हल ना मिले

कभी ये आसमाँ उतारती है नीचे

कभी ये भागे ऐसे बादलों के पीछे

इसे हर दर्द घूँट जाने का नशा है

करो जो आए जी में इसका फ़लसफ़ा है

ये पानी है, ये आग है

ये खुद लिखी किताब है

प्यार की खुराक सी है, पिकू

मोड़े राहों के चेहरे

इसको जाना जिस ओर है

ऐसे सरगम सुनाएँ

खुद इसके सुर हैं इसके राग रे

ओ-ओ, रूठे तो मिर्ची जैसी

हँस दे तो चीनी जैसी

कैसी पहेली इसका हल ना मिले

सुबह की धूप पे इसी की दस्तख़त है

इसी की रौशनी उड़ी जो हर तरफ़ है

ये लमहों के कुँए में रोज़ झाँकती है

ये जा के वक़्त से हिसाब माँगती है

ये पानी है, ये आग है

ये खुद लिखी किताब है

प्यार की खुराक सी है, पिकू

- It's already the end -