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आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
♪
मैं भटकता ही रहा दर्द के वीराने में
वक़्त लिखता रहा चेहरे पे हर पल का हिसाब
मेरी शोहरत, मेरी दीवानगी की नज़र हुई
पी गई मय की बोतल मेरे गीतों की किताब
आज लौटा हूँ तो हँसने की अदा भूल गया
ये शहर भुला मुझे, मैं भी इसे भूल गया
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
♪
मेरा फ़न फिर मुझे बाज़ार में ले आया है
ये वो जहाँ है कि जहाँ मेहर-ओ-वफ़ा बिकते हैं
बाप बिकते हैं और लख़्त-ए-जिगर बिकते हैं
कोख बिकती है, दिल बिकते हैं, सर बिकते हैं
इस बदलती हुई दुनिया का ख़ुदा कोई नहीं
सस्ते दामों में हर रोज़ ख़ुदा बिकते हैं, बिकते हैं, बिकते हैं
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
♪
हर ख़रीदार को बाज़ार में बिकता पाया
हम क्या पाएँगे, किसी ने यहाँ क्या पाया
मेरे एहसास, मेरे फूल कहीं और चले
बोल पूजा, मेरी बच्ची, कहीं और चलें
और चलें, और चलें