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Mujhe Hosh Nahin - Jagjit Singh

Mujhe Hosh Nahin

Jagjit Singh

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04:58

Song Introduction

''मुझे होश नहीं'' जगजीत सिंह द्वारा गाया गया एक प्रसिद्ध ग़ज़ल है। यह गाना उनकी मधुर आवाज़ और गहन भावनाओं के लिए जाना जाता है। इस ग़ज़ल में प्रेम की गहराई और अंतरतम की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त किया गया है। यह गीत संगीत प्रेमियों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है और जगजीत सिंह की कला को एक बार फिर से स्थापित करता है।

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Lyric

मुझे होश नहीं

मुझे होश नहीं

मुझे होश नहीं

कितनी पी, कैसे कटी रात, मुझे होश नहीं

कितनी पी, कैसे कटी रात, मुझे होश नहीं

रात के साथ गई बात, मुझे होश नहीं

रात के साथ गई बात, मुझे होश नहीं

कितनी पी, कैसे कटी रात, मुझे होश नहीं

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ

थाम ले कोई मेरा हाथ, मुझे होश नहीं

थाम ले कोई मेरा हाथ, मुझे होश नहीं

जाने क्या टूटा है, पैमाना कि दिल है मेरा?

जाने क्या टूटा है, पैमाना कि दिल है मेरा?

बिखरे-बिखरे हैं ख़यालात, मुझे होश नहीं

बिखरे-बिखरे हैं ख़यालात, मुझे होश नहीं

आँसुओं और शराबों में गुज़र है अब तो

आँसुओं और शराबों में गुज़र है अब तो

मैंने कब देखी थी बरसात, मुझे होश नहीं

मैंने कब देखी थी बरसात, मुझे होश नहीं

रात के साथ गई बात, मुझे होश नहीं

कितनी पी, कैसे कटी रात, मुझे होश नहीं

मुझे होश नहीं, मुझे होश नहीं

होश नहीं, होश नहीं, होश नहीं

- It's already the end -