00:00
03:54
इस गाने के बारे में अभी तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
ये रोशनी चिराग़ है
पन्नों पे लिखी जो बात है
ये पढ़ के ना समझ सकूँ
मैं क्या करूँ? हाँ, क्या करूँ?
ये रिश्ते भी तो राख हैं
इस शाम का क्या मिज़ाज है?
लबों पे जो आई थी बात है
किसे कहूँ? ये कोई सुनाए मुझे
♪
अकेला था, अकेला है
अकेला ही जाएगा कहीं
ये शाम अकेली है, अकेली थी
अकेली ही ढल जाएगी अभी
♪
ये चार दीवारी नाम है
आने वाला कोई तूफ़ान है
बंजर ये ज़मीं-आसमान है
मैं रो ना सकूँ और हँस ना सकूँ
ये नींद भी एक ख़्वाब है
टूटता-गिरता आज है
कहीं दूर छिपा कोई राज़ है
बताऊँ किसे? ये कोई बताए मुझे
♪
अकेला था, अकेला है
अकेला ही जाएगा कहीं
ये शाम अकेली है, अकेली थी
अकेली ही ढल जाएगी अभी
कि तू अकेला था, अकेला है
अकेला ही जाएगा कहीं
ये रात अकेली है, अकेली थी
अकेली ही डूब जाएगी अभी
थम जाएगी यूँ ही
रुक जाएगी अभी
ढल जाएगी यूँ ही